गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

....और 12 साल की उम्र में बना दिया 'मॉं'


बिन मां की बच्ची को बनाया मां

दो दिन पहले अक्षय तृतीया पर जब पूरा प्रशासन और अनगिनत एनजीओ बाल विवाह रोकने की मुहीम पर जोर-शोर से जुटे थे, तब राजधानी में एक 'गर्भवती किशोरीÓ प्रसव पीड़ा से परेशान फुटपाथों पर घूम रही थी। बुधवार को इस बच्ची ने फुटपाथ पर ही एक और बच्ची को जन्म दिया। जयपुर शहर में 45 डिग्री सेल्सियस तापमान वाली तपती धूप में इस खानाबदोश किशोरी पर घंटों तक किसी की नजर नहीं पड़ी।

इस दौरान राष्ट्रीय मुद्दों पर नारे लगाते हुए वोट मांग रहे लोगों की एक रैली और लॉ एंड ऑर्डर संभालती पुलिस की जीपें वहां से गुजरी। यहां तक की महिलाओं के दुख-दर्द का जिम्मा उठाने वाले किसी एनजीओ के कार्यकर्ताओं की निगाह भी इस पर नहीं पड़ी। फुटपाथ पर नवजात बच्ची के साथ पड़ी इस 12 साल की किशोरी को देख कर खानाबदोश महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली यौन ज्यादतियों की एक ओर विकृत तस्वीर सबके सामने थी। किसी ने किशोरी के पिता को इसकी खबर की और किसी ने 108 एम्बुलेंस को फोन किया। नाबालिग मां और नवजात को महिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। यहां डाक्टरों ने बताया कि अब नाबालिग जच्चा और उसका बच्चा दोनों कुशल हैं।

अस्पताल में किशोरी के बदहवास पिता ने बताया कि किशोरी की मां इसे जन्म के कुछ अर्से बाद ही इस संसार से विदा हो गई थी, बच्ची को उसी ने पाला है। बाप बेटी सड़क किनारे से कचरा बीन कर अपना पेट पालते हैं। लड़की पर वह भरसक नजर रखता रहा, लेकिन पता नहीं कब? किसने? कैसे? इसे मां बना दिया। उधर लड़की ने यह बताकर सबको चौंका दिया कि उसने साथ कचरा बीनने वाले राजू नामक एक लड़के से प्यार किया और उसके साथ शादी भी की, राजू के साथ उसका साथ एक माह तक रहा। अब वो उसे छोड़कर भाग गया है। पिता ने इस घटनाक्रम से स्वयं को अनजान और बेटी को अविवाहित बताया।

फिलहाल अस्पताल के चिकित्सकों ने पिता कि हालत और बिन मां की बच्ची के मां बनने की स्थिति को देखते हुए जच्चा-बच्चा को गांधी नगर के शिशु गृह में भेजने की सिफरिश की है। अब पुलिस और प्रशासन सक्रीय हो गया है और आशा है एक दो दिन में उन संस्थाओं के कार्यकर्ता भी सक्रीय हो जाएंगे जो नि-संतान दम्पत्तियों को बच्चे गोद दिलाने की सेवा में जी-जान से जुटे रहते हैं।

मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

पंजीकृत सोसायटियों पर कसेगी लगाम

मनमानी करने वाली संस्थाओं पर प्रशासक तैनात होंगे
विभिन्न स्कूल संचालित करने वाली सोसायटियों की निरंकुशता से परेशान सरकारों ने अब उन पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। इसकी पहल राजस्थान से होने जा रही है। पिछले दिनों राजस्थान में स्कूल फीस में मनमाने तरीके से बढ़ोत्तरी करने के मामले को लेकर छिड़ी बहस के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी ने यह प्रस्ताव रखा कि क्यों न ऐसी सोसायटियों पर सरकारी प्रशासक तैनात कर दिए जाएं? राज्य सरकार ने इस पर अपनी सहमति जताते हुए जल्द ही प्रस्ताव भेजने की बात कह कर अपना रवैया इस मसले पर साफ कर दिया है।

जयपुर में सचिवालय के गलियारों तक निकल कर आई आहटों से पता चला कि सबसे पहले अजमेर जिला प्रशासन की ओर से इस आशय का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद ऐसी कुछ रजिस्टर्ड सोसायटियों में प्रशासक की नियुक्ति हो जाएगी। राजस्थान में निजी स्कूलों का संचालन करने वाली अनेक सोसायटियां राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त करती हैं। इन सोसायटी से संबंधित स्कूलों में शिक्षकों, कर्मचारियों सहित सरकार से भी किसी न किसी मसले पर विवाद होते रहते हैं। गंभीर मामलों में अदालती कार्यवाही की नौबत आ जाती है और इसका खामियाजा विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को भी भुगतना पड़ता है। राजस्थान में इन दिनों तेज गर्मी के कारण स्कूल टाइम को लेकर ही विवाद है। सरकार को इसमें भी दखल देना पड़ा है।

कुल मिलाकर मनमानी करने वाली संस्थाओं को लेकर सरकार ने कड़ा कदम उठाने का मानस बना लिया है। प्रदेश की राजधानी जयपुर में स्कूल फीस को लेकर उठे बवाल का निपटारा अभी तक नहीं हो सका है। अजमेर में अग्रवाल और गुरूनानक स्कूल के प्रबंधकों और कर्मचारी शिक्षकों के बीच चले विवाद ने सरकार को काफी परेशान कर रखा है। उधर टोंक, भीलवाड़ा और नागौर के कुछ स्कूलों में भी विवाद के चलते स्कूलों की शैक्षिक और आर्थिक हालत खराब है। आंदोलन और शिकायतों के कारण पढऩे-पढ़ाने का काम प्रभावित है। प्रदेश का शिक्षा विभाग इस हालात से काफी चितिंत है और प्रशासनिक अधिकारियों से स्थिति पर अंकुश लगाने के तरीकों की चर्चा में लगा है।

अजमेर के संभागीय आयुक्त अर्थात डीवीजनल कमीशनर से जब इस संबंध में सम्पर्क किया गया तो उनका का कहना था कि इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से चर्चा हुई है उनके प्रस्ताव के आधार पर ऐसी सोसायटियों पर प्रशासक की नियुक्ति के लिए सरकार को लिखा जा रहा है। फिलहाज लोकसभा चुनाव के चलते कुछ समय लग रहा है, चुनाव के बाद इसे सही गति मिल जाएगी।